Saturday, March 21, 2009
मुझे मशहूर होना है
मैं भी सोचता हूं
लिखूं कोई कविता,गीत
या फिर एक शेर भला सा
जिसमें चांद हो, तारे हों, फूल हों
हो एक तोला 'माही वे' रत्ती भर 'मौला'
और हों कुछ प्यार की बातें
लिखूं वो कि जिसे सुनकर
कोई बरबस बजा दे ताली
करे वाह-वाह
हर तरफ़ मेरी ही जय हो !
कुछ तो ऐसा लिखूं कि
करन जौहर या यश चोपड़ा
कर लें मेरे लिखे गीत
अपनी फ़िल्म में शामिल
और हो जाऊं मैं उनकी तरह...
मशहूर
मैं जला रहा हूं आजकल
अपना लिखा वो सब
जिसे सुन कर कहीं ताली नहीं बजती थी
कहीं नहीं होती थी वाह-वाह
बस...
सन्नाटा सा पसर जाता था
ख़ामोशी
जो टूटने का नाम न लेती थी
शरीर काठ में बदल जाते थे
अब छत पर कटती हैं रातें
देखते हुए चांद को
इस कोशिश में कि
मुझे भी दिख जाए उसमें
परी, नूर या रोटी ही सही
मेरे काम आ रहा है
'मौला'
गुंथ रहा है
कभी मुखड़े तो कभी अंतरे में
...मुझे भी मशहूर होना है
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ऐसे ही होगे मशहूर भई बस चेपते रहो ।
ReplyDeleteyun hi apne dil ko udhelte raho
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बढ़िया कहा ..लिखते रहे
ReplyDeleteमाना कि बेटा बहुत खूबसूरत है माशाअल्लाह, लेकिन जब भी बाहर निकलते हो तो उसको काफी सजा और संवार कर निकालते हो ना भाई। विचार बहुत अच्छा था लेकिन आपने उसकी नौंक-पलक को संवारा नहीं थोडा बिखर गया।
ReplyDeleteकुछ भी हो जाउ, कही भी चला जाउ मैं, तेरा तस्सवुर रहता है तेरे ख्याल में रहता हूं मैं।
Ati sundar likhaa hai.
ReplyDelete~Jayant
जो टूटने का नाम न लेती थी
ReplyDeleteशरीर काठ में बदल जाते थे
sunder rachna hai!
सब यही कर रहे हैं डियर।
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