
आज सवेरे अलमारी में कुछ ढूंढ़ रहा था। जिसकी तलाश थी वो तो नहीं मिला, कुछ पुरानी फ़्लॉपी ज़रूर मिल गईं। अचानक मिली इन फ़्लॉपीज़ से मेरे होठों पर मुस्कान बिखर गई। कुल 8 फ़्लॉपी- 5 चालू हालत में थीं (इनका नाम किसने रखा, याद है आपको नए डिब्बे में भी 10 में से दो-तीन
फ़्लॉप निकल जाती थीं) जिनमें कॉलेज़ के ज़माने की कुछ वर्ड फ़ाइल्स थीं। मुस्कान की वजह इनके अंदर का डेटा नहीं बल्कि उस डेटा का साइज़ था। कॉलेज ख़त्म हुए क़रीब 4 साल हुए हैं लेकिन इन 4-5 सालों में डेटा स्टोरेज किस क़दर बदल गया है ये फ़्लॉपी उसका सुबूत हैं। महज़ 1.44 एमबी, अब आप इस स्टोरेज क्षमता पर हंसने के अलावा और कर भी क्या सकते हैं। लेकिन याद कीजिए कुछ साल पहले यही फ़्लॉपी आपके कितने काम आती थीं। नए कंप्यूटर्स में तो फ़्लॉपी ड्राइव आना ही बंद हो गई। तब 128 एमबी पेन ड्राइव धारक भी दोस्तों के बीच ख़ूब धाक जमाता था। अब अगर कोई 1 जीबी पेन ड्राइव के साथ नज़र आता है तो आप कहते हैं, अरे, ज़्यादा मेमोरी वाली लेलो यार, बड़ी सस्ती हो गई हैं। एक टेराबाइट की पेन ड्राइव तक उपलब्ध है। एक टेराबाइट समझते हैं यानी 1024 जीबी यानी सात लाख अट्ठाइस हज़ार सात सौ छिहत्तर फ़्लॉपी। वो एक टीबी की पेन ड्राइव आपकी जेब में समा जाती है और सात लाख फ़्लॉपी?!?! मुझे लगता है कंप्यूटर्स की दुनिया में सबसे ज़्यादा बदलाव डेटा स्टोरेज में ही आया है। वो पहले से बहुत सस्ते और सुलभ हो गए हैं। और इसकी सीधी वजह छिपी है हमारी डेटा की बढ़ती ज़रूरतों में। अब आपको अपने अनलिमिटेड इंटरनेट कनेक्शन के ज़रिए डाउनलोड हुए टॉरेन्ट्स को भी तो स्टोर करना पड़ता है। पहले तो नज़दीक के साइबर कैफ़े में जाकर मेल चैक हो जाती थीं। अब मेल से भेजे गए फ़ोटो-वीडियो वगै़रह भी सेव करने पड़ते हैं ! फिर ताज़ातरीन संगीत डाउनलोड को कैसे भूला जा सकता है ! यानी कुल मिलाकर हालत ये रहती है कि उफ़, कंप्यूटर बार-बार यही कहता रहता है- 'लो मेमोरी, लो मेमोरी'। अरे, क्यूं परेशान करता है, मेरे भाई, 'ले लूंगा, ले लूंगा'। तब तक जो मूवी देख चुका हूं, डिलीट करता हूं न...आप भी तलाशिये, हो सकता है भूली-बिसरी कुछ फ़्लॉपी हाथ लगें। और तो पता नहीं लेकिन आप मुस्कुराए बिना नहीं रह सकेंगे।
बिलकुल ऐसे ही जैसे आज हमारे हाथ कुछ पुरानी कैसेट आयी ....
ReplyDeletesach kaha aapne :-)
ReplyDeleteहमारे पास तो अभी भी १.२ एमबी वाली फ़्लापी ड्राईव अभी भी चल रही है जो कि हमारे लिये ऐतिहासिक धरोहर है और उसकी ४ फ़्लापी भी।
ReplyDeleteउफ़,उफ़,उफ़,उफ़,उफ़
ReplyDeleteमेरा अनुभव तो फ़्लॉपी के साथ जैसा की आपने लिखा है फ़्लॉप शो ही रहा है। हमेशा अंत समय पर धोखा दे जाती थी।
ReplyDeleteसत्य वचन....डेटा स्टोरेज वाकई में बहुत बढ़ गया है! हमारा लैपटॉप तीन साल पुराना है ...अभी कुछ दिन पहले ही इसकी रैम २५६ से बढ़वाकर १ जीबी. करवाई है!तब भी लोग कहते हैं ..बस इतनी ही!
ReplyDelete