ये एक ख़त आपसे शेयर कर रहा हूं। शायद पोस्ट नहीं किया गया, आज रास्ते में पड़ा मिल गया था :-)
डियर यश चोपड़ा जी
आप तो जानते ही होंगे कि आज करवा चौथ है। मैं भी कितनी पागल हूं, आपसे से ये सवाल कर रही हूं। वो क्या है कि पहली बार इत्ते बड़े आदमी को चिट्ठी लिख रही हूं न इसलिए, इससे पहले सिर्फ़ अपने प्रेमी को लिखने का तजुर्बा है। अब आपसे क्या छुपाना। आप नहीं जानते कि आपने डीडीएलजे बनाकर देश पर कितना उपकार किया है। हम विवाहिताओं के लिए यही तो एक दिन होता है जब हमें भी लगता है हमारा पति एकाकार होकर शाहरुख़, सलमान या अमिताभ बन गया है। वर्ना रोज़ तो वही किसी एक्स्ट्रा की तरह कोने में पड़ा रहता है। इस दिन लाखों मेंहदी वालों की दुआएं भी आपको लगेंगी क्यूंकि अगर यश राज फ़िल्म्स न होता तो समझिए, इस 'पावन' दिन हज़ारों-लाखों लोग बेरोज़गार ही रहते। हर सड़क, गली, नुक्कड़, कूचे में यूं छोटा सा स्टूल, उसके दोनों तरफ़ निकला भीमकाय शरीर और साथ खड़ा 45 किलो का जीव कहां नज़र आ पाता। वो पार्लर, वो डिज़ायनर चोली-छलनी (बिना साम्य के बावजूद दोनों को एक साथ समेटने के लिए माफ़ी), वो सजना-संवरना, वो इतने सारे ताम-झाम के बदले में 'हीरा है सदा के लिए' की आस...बस ये समझ लीजिए कि मंदी के इस दौर में आप बाज़ार को अनजाने में ही नई दिशा दे रहे हैं। आभार।
वो तो आपका शुक्रिया करने से रहे। चलिए, हमारे ख़बरिया चैनलों की तरफ़ से मैं ही आपको शुक्रिया अदा कर देती हूं। अब आप उनको इतना माल-मसाला जो देते हैं। इस 'पुनीत' अवसर पर बनने वाले कार्यक्रमों में बैकग्राउंड में आप ही की फ़िल्मों का संगीत गूंजा करता है। ऐश्वर्या सरीखियों का करवाचौथ 'कैप्चर' करने के लिए 'जलसा' के सामने वाले फ़्लैट तक किराए पर लिए जाते हैं। हम जैसी विवाहिताएं भी टीवी के सामने बैठकर 'एक्सपर्ट्स' से समझती हैं कि आख़िर कौन से साम-दाम-दंड-भेद से पति को इसी भांति काबू में रखा जा सकता है। तब जाकर इन चैनलों के प्रोड्यूसर टाइप लोग भी गर्व से टीआरपी का तिलक लगा के अपनी-अपनी वालियों के सामने जाके खड़े हो पाते हैं। इसलिए,इनकी तरफ़ से आपका शुक्रिया, करवाचौथ को घर-घर पहुंचाने के लिए, ये आप ही के काम को आगे बढ़ा रहे हैं।
और तो और पर्यावरणविद् तक आपको थैंक्स कह रहे होंगे। जब करोड़ों महिलाए निर्जला व्रत रखेंगी तो करोड़ों लीटर पानी की बचत भी तो होगी। बल्कि वो तो कह रहे हैं कि करवाचौथ जैसे 'एनवायरनमेंट फ़्रैंडली' दिन को महीने में एक बार अनिवार्य कर देना चाहिए।
अच्छा अब लिखना बंद करती हूं। काफ़ी तैयारी करनी है। रात को शाहरुख़... नहीं..मेरा मतलब मेरा वाला, पानी के साथ कुछ चमकने वाली चीज़ भी लाने वाला है।
हां, मेरी तरफ़ से भंसालीजी और रवि चोपड़ाजी को भी तहेदिल से शुक्रिया अदा कीजिएगा। उनका योगदान भी कम नहीं रहा है, इस 'महापर्व' का मेक-अप करने में।
मैं उम्मीद करती हूं कि अगले साल चांद नज़र न आए तो उसकी जगह आपकी और आदित्य जी को तस्वीरों की ही अर्घ्य चढ़ा लिया जाए।
आपकी (अपने पति की भी) एहसानमंद
एक पूर्ण स्वदेशी विवाहिता
हा हा!
ReplyDeleteये भी खूब रही!!
बी एस पाबला
बहुत बढ़िया ...!!
ReplyDeleteMazedaar laga ye lekh... aapke kahe anusaar word verification ka option hata diya h... aapka comment bhi achha laga...shukriya...
ReplyDeleteगजब चिट्ठी लिखी है आपने...लगता है आप अभी तक किसी के शाहरुख नहीं बने हैं तभी इत्ता लिख पाये हैं..हम लिखते तो सर पे ही चांद निकल आया होता...
ReplyDeleteमाफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
ReplyDeleteक्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?
प्रबुद्ध भाई,
ReplyDeleteमैं औरों की तो नहीं जानता लेकिन मैंने नौ नवंबर को रात 10 बजे अपने प्रोग्राम बड़ी खबर में हिंदी के सिर्फ राजभाषा होने के मुद्दे को प्रमुखता के साथ उठाया था...
जय हिंद...
ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.....
ReplyDeleteकाफी दिल्चास्प्प चिठ्ठी लिखी है ...मजा आया पड़कर.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
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