दूर तक खुले मैदान में
फेफड़ों में ताज़ा हवा लेके
हांफ कर गिरने तक
दौड़ का लुत्फ़ लिया जाए
चलो आज जिया जाए
कई घंटे की प्यास के बाद
मिनरल वॉटर की सारी बोतलें भूलकर
किसी खेत में ट्यूबवेल से
ओक भर पानी पिया जाए
चलो आज जिया जाए
अपार्टमेंट के 26वें फ्लोर की बालकनी से
काग़ज़ के दो टुकड़े गिराकर
कौन सा पहुंचेगा पहले
इस शर्त का मज़ा लिया जाए
चलो आज जिया जाए
मोबाइल, इंटरनेट से दूर
अख़बार, टीवी से दूर
जज़्बातों की बस्ती में
रिश्तों को बारीकी से सिया जाए
चलो आज जिया जाए
किसी अनजाने शहर में
बिल्कुल अकेले, तन्हा
अनजान निगाहों के बीच
कोई नया रिश्ता कायम किया जाए
चलो आज जिया जाए
अपने बच्चे के प्लेस्कूल में
किसी दिन कुछ देर ठहरकर
कुदरत की मासूमियत को
फिर से पिया जाए
चलो आज जिया जाए
छोटी सी है ज़िंदगी
छोटी छोटी हैं ख़ुशियां
छोटे हम, छोटे सपने
ज़िंदगी को रिटर्न गिफ़्ट दिया जाए
चलो आज जिया जाए
वाकयी ..आज चलो जिया जाए .. हम लोग आदी हो चुके हैं कृतिमता में जीने के .. अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteLife is what happens to us when we are busy making other plans.....sach ham jindgi ko jeena hi bhool gaye hain....na jane kis kalpana bhare kal ke liye ham aaj ko puri tarah bhoola dete hain.
ReplyDeleteबहुत खूब...वकाई मिट्टी की महक आ रही है.कुछ ना कर पाने की कसक आ रही है...और कुछ करने की हसरत में...झरने की झनझन आ रही है. नज्म बह रही है..
ReplyDeleteshandar prabuddh ji
ReplyDeletemobile se jud jaye to aur achha lagega,,09425547878
ReplyDelete