Friday, February 20, 2009

मंदी की अजब सुरीली कहानी

मंदी की ये कहानी कोई आम कहानी नहीं है...हमारे एक अज़ीज़ दोस्त के भाई ने अभी-अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म की है। एक प्रतिष्ठित कंपनी ने उनके भाई समेत कुछ लोगों को नौकरी देने का वादा कर अपॉइन्टमेन्ट लैटर थमा दिया। मंदी के दौर में बच्चों की ख़ुशी की कोई सीमा नहीं...थोड़ा जश्न भी हुआ। और तभी आ गया कहानी में मोड़। मंदी का भूत जब कंपनी की पीठ पर सवार हुआ तो बेचारी ने बच्चों को साफ़ बता दिया कि उन्हें नौकरी नहीं दी जा रही...सारे अपॉइन्टमेन्ट कैंसल किये जा रहे हैं। अब कंपनी बड़ी है तो इतनी टुच्ची हरकत ऐसे ही थोड़ी कर सकती है। उसने कैंसेलेशन के साथ कॉन्सोलेशन भी दिया। कंपनी ने हरेक को एक आईपॉड दे दिया। अजी, नौकरी न सही....आईपॉड सही। आईपॉड में मुकेश के दर्द भरे नग़मे लोड करो और नौकरी ढूंढ़ते रहो- शायद यही फ़लसफ़ा रहा होगा।

4 comments:

  1. आपके विचार पर मंदी के बहाने मंद-मंद मुस्कराया जा सकता है।

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  2. life me ye to laga hi rahta hai
    phir phul khilenge. patjhar hamesha thode hi rahta hai

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  3. मंदी के बहने अच्छी बात कह दी आपने

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आपकी टिप्पणी से ये जानने में सहूलियत होगी कि जो लिखा गया वो कहां सही है और कहां ग़लत। इसी बहाने कोई नया फ़लसफ़ा, कोई नई बात निकल जाए तो क्या कहने !

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