बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़ुबां अब तक तेरी है - फ़ैज़
बहुत खुब..
इस अंतर की वजह .. समझ में नहीं आयी ।
इससे बेहतर तो था कि गर्म खाने के साथ गर्म संवाद झेल लेते.
waah kya baat kah di
आपकी टिप्पणी से ये जानने में सहूलियत होगी कि जो लिखा गया वो कहां सही है और कहां ग़लत। इसी बहाने कोई नया फ़लसफ़ा, कोई नई बात निकल जाए तो क्या कहने !
बहुत खुब..
ReplyDeleteइस अंतर की वजह .. समझ में नहीं आयी ।
ReplyDeleteइससे बेहतर तो था कि गर्म खाने के साथ गर्म संवाद झेल लेते.
ReplyDeletewaah kya baat kah di
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